इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क
जौनपुर। 10 नवम्बर 2025 की शाम हुए दिल्ली बम ब्लास्ट एवं 28 जुलाई 2005 को जनपद के हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के पास हुए श्रमजीवी बम विस्फोट कांड में चौंकाने वाली समानता है जो आतंकियों से जुड़ी तमाम संभावनाओं को बल प्रदान करती हैं।श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड की योजना बनाने वाले मास्टरमाइंड डॉ. सईद भी एक डॉक्टर था जिसका आज तक कोई सुराग नहीं मिला। पकड़े गए आरोपियों की ब्रेन मैपिंग व नारको टेस्ट से तमाम खुलासे हो सकते हैं।
बता दें कि 28 जुलाई 2005 को जनपद के हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के पास श्रमजीवी बम विस्फोट धमाके में 14 लोग मारे थे 62 घायल हुए थे। विस्फोट कांड में 7 आतंकियों का नाम पुलिस विवेचना में आया था जिसमें 4 आतंकी बांग्लादेश के ओबैदुर्रहमान, हिलाल व रोनी उर्फ आलमगीर तथा पश्चिम बंगाल के नफीकुल को यहां दीवानी न्यायालय के जज ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ चारों आतंकियों की अपील हाईकोर्ट में लंबित है। कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में स्पष्ट उल्लेख है कि पुलिस विवेचना से प्रकाश में आया कि श्रमजीवी बम विस्फोट की योजना हूजी आतंकी संगठन के डॉ. सईद व लश्कर के याहिया ने राजशाही बांग्लादेश में बनाई थी। आतंकी शरीफ उर्फ कंचन को टारगेट की रेकी का काम दिया गया था।बताया गया था कि कंचन, याहिया, हिलाल, रोनी व ओबैदुर्रहमान बांग्लादेश से पद्मा नदी पार करके भारत आये। यहां पश्चिम बंगाली निवासी नफीकुल आरोपियों के साथ हो लिया। उनकी मदद किया।पटना के लोकल मार्केट से आरोपियों ने बम बनाने का सामान खरीदा। ओबैदुर्रहमान व याहिया ने बम बनाया। हिलाल व रोनी ने पटना के खुशरूपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर 3 पर ट्रेन में अटैची बम रखा। बम ब्लास्ट जनपद के हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के निकट हुआ था। फैसले में उल्लेख है कि हूजी के कमांडर मोहम्मद रौफ आतंकियों को ट्रेनिंग देते थे तथा कश्मीर व अफगानिस्तान में मुसलमानों के जुल्मों के बारे में बताते थे। हमेशा तैयार रहने को कहते थे। आतंकियों की मदद पाकिस्तान का जैश-ए-मोहम्मद करता था। बांग्लादेश से आतंकी पाकिस्तान बम विस्फोट की ट्रेनिंग लेने गए थे।आईएसआई एजेंट रहीम ने आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी। पाकिस्तान जाने वाले आतंकियों को डॉ. शाहिद अपने यहां ठहराता था। श्रमजीवी विस्फोट कांड में विस्फोटक के अवयवों की जांच से पता चला कि उसमें अमोनियम नाइट्रेट, आरडीएक्स व फ्यूल आयल का मिश्रण पाया गया। 10 नवंबर 2025 को हुए दिल्ली ब्लास्ट के पहले फरीदाबाद में फतेहपुर से 2960 किलो विस्फोटक बराबर हुआ था, उसमें भी आरडीएक्स व अमोनियम नाइट्रेट पाया गया। श्रमजीवी विस्फोट कांड के मास्टरमाइंड पांचवें आतंकी डॉ. सईद का आज तक पता नहीं चला। छठां आतंकी याहिया पुलिस मुठभेड़ में देर हो गया था एवं 7वें आतंकी कंचन उर्फ शरीफ को इंटरपोल गिरफ्तार नहीं कर पाई। दिल्ली बम ब्लास्ट में डॉ. शाहीन सईद, डॉ रईस व कई डॉक्टरों का नाम प्रकाश में आया। दिल्ली बम ब्लास्ट में भी आईएसआई व जैश-ए-मोहम्मद द्वारा विस्फोट कराए जाने की बात प्रकाश में आई। इसी प्रकार श्रमजीवी बम विस्फोट कांड में भी जैश-ए-मोहम्मद व आईएसआई ने आतंकियों को मदद की थी और पाकिस्तान में ट्रेनिंग दिया था।निर्णय में उल्लेख है कि श्रमजीवी विस्फोट कांड के बाद 15 सितंबर 2005 को आतंकियों ने पटना में जिस दुकान से बम बनाने का सामान खरीदा था, सबूत मिटाने के लिए उसे बम से उड़ा दिया था। उस विस्फोट कांड की राख एवं श्रमजीवी विस्फोट कांड की रख में पाए गए अवयवों में समानता पाई गई। इसी से श्रमजीवी विस्फोट कांड में विवेचक को विवेचना में दिशा मिली। कोलकाता में गिरफ्तार वाराणसी निवासी अब्दुल्ला ने पहली बार श्रमजीवी विस्फोट कांड के आतंकियों के नाम का खुलासा डिटेक्टिव एजेंसी के समक्ष किया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब श्रमजीवी कांड के आतंकियों की दीवानी न्यायालय में सुनवाई चल रही थी तो दौरान मुकदमा उन्होंने महंगे वकीलों को हायर कर रखा था। दूसरे जिलों से भी वकील पैरवी के लिए आते थे। प्रश्न यह उठता है कि बांग्लादेश के आतंकियों को भारत में महंगे वकीलों की फीस के लिए फंडिंग कौन कर रहा है। यहां सजा के बाद वर्तमान में श्रमजीवी विस्फोट कांड के सजायाफ्ता आतंकी प्रयागराज की जेल में बंद हैं।
बता दें कि 28 जुलाई 2005 को जनपद के हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के पास श्रमजीवी बम विस्फोट धमाके में 14 लोग मारे थे 62 घायल हुए थे। विस्फोट कांड में 7 आतंकियों का नाम पुलिस विवेचना में आया था जिसमें 4 आतंकी बांग्लादेश के ओबैदुर्रहमान, हिलाल व रोनी उर्फ आलमगीर तथा पश्चिम बंगाल के नफीकुल को यहां दीवानी न्यायालय के जज ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ चारों आतंकियों की अपील हाईकोर्ट में लंबित है। कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में स्पष्ट उल्लेख है कि पुलिस विवेचना से प्रकाश में आया कि श्रमजीवी बम विस्फोट की योजना हूजी आतंकी संगठन के डॉ. सईद व लश्कर के याहिया ने राजशाही बांग्लादेश में बनाई थी। आतंकी शरीफ उर्फ कंचन को टारगेट की रेकी का काम दिया गया था।बताया गया था कि कंचन, याहिया, हिलाल, रोनी व ओबैदुर्रहमान बांग्लादेश से पद्मा नदी पार करके भारत आये। यहां पश्चिम बंगाली निवासी नफीकुल आरोपियों के साथ हो लिया। उनकी मदद किया।पटना के लोकल मार्केट से आरोपियों ने बम बनाने का सामान खरीदा। ओबैदुर्रहमान व याहिया ने बम बनाया। हिलाल व रोनी ने पटना के खुशरूपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर 3 पर ट्रेन में अटैची बम रखा। बम ब्लास्ट जनपद के हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के निकट हुआ था। फैसले में उल्लेख है कि हूजी के कमांडर मोहम्मद रौफ आतंकियों को ट्रेनिंग देते थे तथा कश्मीर व अफगानिस्तान में मुसलमानों के जुल्मों के बारे में बताते थे। हमेशा तैयार रहने को कहते थे। आतंकियों की मदद पाकिस्तान का जैश-ए-मोहम्मद करता था। बांग्लादेश से आतंकी पाकिस्तान बम विस्फोट की ट्रेनिंग लेने गए थे।आईएसआई एजेंट रहीम ने आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी। पाकिस्तान जाने वाले आतंकियों को डॉ. शाहिद अपने यहां ठहराता था। श्रमजीवी विस्फोट कांड में विस्फोटक के अवयवों की जांच से पता चला कि उसमें अमोनियम नाइट्रेट, आरडीएक्स व फ्यूल आयल का मिश्रण पाया गया। 10 नवंबर 2025 को हुए दिल्ली ब्लास्ट के पहले फरीदाबाद में फतेहपुर से 2960 किलो विस्फोटक बराबर हुआ था, उसमें भी आरडीएक्स व अमोनियम नाइट्रेट पाया गया। श्रमजीवी विस्फोट कांड के मास्टरमाइंड पांचवें आतंकी डॉ. सईद का आज तक पता नहीं चला। छठां आतंकी याहिया पुलिस मुठभेड़ में देर हो गया था एवं 7वें आतंकी कंचन उर्फ शरीफ को इंटरपोल गिरफ्तार नहीं कर पाई। दिल्ली बम ब्लास्ट में डॉ. शाहीन सईद, डॉ रईस व कई डॉक्टरों का नाम प्रकाश में आया। दिल्ली बम ब्लास्ट में भी आईएसआई व जैश-ए-मोहम्मद द्वारा विस्फोट कराए जाने की बात प्रकाश में आई। इसी प्रकार श्रमजीवी बम विस्फोट कांड में भी जैश-ए-मोहम्मद व आईएसआई ने आतंकियों को मदद की थी और पाकिस्तान में ट्रेनिंग दिया था।निर्णय में उल्लेख है कि श्रमजीवी विस्फोट कांड के बाद 15 सितंबर 2005 को आतंकियों ने पटना में जिस दुकान से बम बनाने का सामान खरीदा था, सबूत मिटाने के लिए उसे बम से उड़ा दिया था। उस विस्फोट कांड की राख एवं श्रमजीवी विस्फोट कांड की रख में पाए गए अवयवों में समानता पाई गई। इसी से श्रमजीवी विस्फोट कांड में विवेचक को विवेचना में दिशा मिली। कोलकाता में गिरफ्तार वाराणसी निवासी अब्दुल्ला ने पहली बार श्रमजीवी विस्फोट कांड के आतंकियों के नाम का खुलासा डिटेक्टिव एजेंसी के समक्ष किया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब श्रमजीवी कांड के आतंकियों की दीवानी न्यायालय में सुनवाई चल रही थी तो दौरान मुकदमा उन्होंने महंगे वकीलों को हायर कर रखा था। दूसरे जिलों से भी वकील पैरवी के लिए आते थे। प्रश्न यह उठता है कि बांग्लादेश के आतंकियों को भारत में महंगे वकीलों की फीस के लिए फंडिंग कौन कर रहा है। यहां सजा के बाद वर्तमान में श्रमजीवी विस्फोट कांड के सजायाफ्ता आतंकी प्रयागराज की जेल में बंद हैं।