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Entertainment : ​​​​करण टैकर की ‘भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री’ ने ऑरमैक्स चार्ट्स पर मारी बाज़ी, साबित हुआ कि डर की धड़कन आज भी ज़िंदा है


करण टैकर की पैरानॉर्मल थ्रिलर सीरीज़ 'भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री' ने ओटीटी की दुनिया में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। ऑरमैक्स मीडिया के ताज़ा व्यूअरशिप आंकड़ों के मुताबिक, यह सीरीज़ हफ्ते की सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली ओरिजिनल फिक्शन सीरीज़ बन गई है। अमेज़न एमएक्स प्लेयर पर स्ट्रीम हो रही इस सीरीज़ को करीब 11 लाख दर्शकों ने देखा, और यह सीधे चार्ट्स के शिखर पर जा बैठी।

इस कामयाबी को और खास बनाता है शो का सधा हुआ, रहस्यमयी टोन और सीमित प्रमोशन। बिना शोर मचाए, सिर्फ कंटेंट के दम पर दर्शकों तक पहुँचना और वहां अपनी जगह बनाना इस बात का सबूत है कि आज भी ओटीटी पर वर्ड ऑफ माउथ का जादू सिर चढ़कर बोलता है।

एक एटमॉस्फेरिक पैरानॉर्मल थ्रिलर के तौर पर पेश की गई यह सीरीज़ जांच-पड़ताल की गंभीरता और मनोवैज्ञानिक तनाव को बड़ी खूबसूरती से जोड़ती है। यहां डर चिल्लाता नहीं, बल्कि धीरे-धीरे रेंगता है। कहानी अनावश्यक हॉरर क्लिशे से दूर रहती है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है करण टैकर का वास्तविक जीवन के पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर गौरव तिवारी के रूप में संयमित और असरदार अभिनय। आलोचकों और दर्शकों दोनों ने उनके अभिनय की गहराई और सच्चाई की जमकर तारीफ की है।

यह सफलता एक बार फिर इस बात को पुख्ता करती है कि करण टैकर आज के ओटीटी स्पेस में किसी लकी चार्म से कम नहीं हैं। 'खाकी: द बिहार चैप्टर' हो, 'स्पेशल ऑप्स' हो या अब 'भय', हर प्रोजेक्ट ने दर्शकों के बीच अपनी मजबूत पहचान बनाई है और चर्चा का हिस्सा बना है।

डर को झटके और चीख-पुकार से परोसने के बजाय, 'भय' यथार्थ, अनुशासित जांच और भावनात्मक संतुलन के ज़रिये बेचैनी पैदा करती है। यही वजह है कि स्लो-बर्न सुपरनैचुरल कहानियों को पसंद करने वाले दर्शकों से इसे जबरदस्त सराहना मिली है। समीक्षाओं में करण टैकर की दमदार मौजूदगी और बारीक अभिनय को इस सफलता की रीढ़ बताया गया है।

शो को मिल रही प्रतिक्रिया पर बात करते हुए करण टैकर कहते हैं, दर्शकों ने इस शो को अपने तरीके से खोजा, यही इसे खास बनाता है। 'भय' को ईमानदार और इमर्सिव बनाने की कोशिश थी और यह देखकर सुकून मिलता है कि लोगों को अपना समय वसूल लगा। गौरव का किरदार निभाने का मतलब था हर रोज़ डर से आंख मिलाने की मानसिक कीमत को समझना। खुशी है कि यह सच्चाई दर्शकों तक पहुंच पाई।

वहीं निर्देशक रॉबी ग्रेवाल इस चार्ट टॉपिंग सफलता को अपने क्रिएटिव फैसलों की जीत मानते हैं। उनका कहना है कि शुरू से साफ था कि 'भय' की नींव जांच और भावनात्मक सच्चाई पर होगी। करण ने किरदार में गहराई से उतरकर उसे जिया। अतीत के असली किरदारों को पर्दे पर ज़िंदा करने की उनकी क्षमता इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी ताकत रही। इससे कहानी ज़मीन से जुड़ी रही और पैरानॉर्मल एलिमेंट्स सनसनी नहीं, बल्कि विश्वसनीय लगे। दर्शकों की प्रतिक्रिया लगातार मजबूत रही है और ऑरमैक्स के आंकड़े यही दिखाते हैं कि ईमानदार कहानी और वर्ड ऑफ माउथ का कोई मुकाबला नहीं।

आज जब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बीच ध्यान खींचने की होड़ लगी है, ऐसे में 'भय' का ऑरमैक्स रैंकिंग्स में टॉप पर पहुंचना करण टैकर को स्ट्रीमिंग स्पेस की एक मजबूत आवाज़ के तौर पर स्थापित करता है। साथ ही यह याद दिलाता है कि दर्शक आज भी सच्ची कहानियों और पूरी शिद्दत से निभाए गए किरदारों को दिल खोलकर अपनाते हैं।