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Varanasi:वरुणा नदी नाले में तब्दील, संकट में असि नदी का अस्तित्व।

इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क 

वाराणसी। जिस शहर का नाम वरुणा और असी नदी के नाम से वाराणसी हुआ वह नदियां आज अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रही हैं। शहर की पहचान वरुणा नदी इन दिनों सभी के लिए अजूबा बनी है। गंदगी-कूड़े से पटने व अतिक्रमण के चलते नाले का रूप ले चुकी वरुणा से निकलती दुर्गंध पर्यटकों को सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह कैसी सांस्कृतिक व पौराणिक नगरी, जहां मां गंगा को साफ करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं उसकी सहायक नदी वरुणा नाला बनने की कगार पर है और असि नदी नाला बन विलुप्त होने के मुहाने पर खड़ी है। पुराणों में काशी क्षेत्र के उत्तर में वरुणा, पूर्व में गंगा और दक्षिण में असि नदी का उल्लेख मिलता है। इनमें से गंगा के दक्षिणी मोड़ पर मिलने वाली 'असि' नदी नाले में तब्दील होकर अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच चुकी है तो वरुणा भी कमोवेश एक बड़े नाले में तब्दील हो रही है।

>समाजसेवी संस्था ने पीएम को लिखा पत्र।

सामाजिक संस्था लोक चेतना के अध्यक्ष केके उपाध्याय ने पीएम मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ को संबोधित पत्र में लिखा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद काशी की पहचान वरुणा नदी लापरवाही के चलते लुप्त होने के कगार पर पहुंच गयी है। वरुणा के जल में जलकुंभी तथा गंदगी नदी के जल को आगोश में लेता जा रहा है, जिसके चलते नदी का जल काला पड़ गया है। तीन दशक पूर्व तक जीवनदायिनी नदी आज लाखों तटवासियों के लिए गंभीर खतरे का रूप लेती जा रही है। शहर के मध्य स्थित वरुणा नदी में रुके जल से एक बड़ी आबादी बड़े खतरे की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है।

>पर्यटन मंत्री के प्रयास पर गंभीर नहीं है मंडलायुक्त।

पर्यटन निदेशालय ने पत्रांक संख्या वित्तीय वर्ष 2023-24-बजट-2018 दिनांक 23-06-2023 द्वारा वरूणा आरती के आयोजन के लिए 8 लाख रुपये स्वीकृति करते हुए उसकी धनराशि आहरित कर आटीजीएस के माध्यम से महोत्सव समिति वाराणसी को उपलब्ध कराए जाने का निर्देश पारित किया। सामाजिक संस्था लोक चेतना के अध्यक्ष केके उपाध्याय ने पीएम मोदी को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया कि महोत्सव समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के पास कई बार अनुरोध किये जाने के पश्चात भी उक्त मामले को संज्ञान नहीं लिया जा रहा है और न ही वरुणा आरती का शुभारंभ कराया जा रहा है। सरकार से अनुदान की स्वीकृति लगभग एक वर्ष पूर्व मिलने के उपरांत भी मंडलायुक्त द्वारा कार्रवाई न किया जाना वरुणा आरती के प्रति उनकी उदासीनता को दर्शाता है।

>भाजपा जिलाध्यक्ष की बातों को भी नहीं मानते मंडलायुक्त।

मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा से जब भाजपा जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने बात की तो उनका कहना था कि सरकार ने प्राइवेट संस्थाओं को अनुदान देना बंद कर दिया है जबकि ऐसा कोई भी आदेश सरकार द्वारा पारित नहीं किया गया है। सामाजिक संस्था लोक चेतना के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मण्डलायुक्त पीएम मोदी के नाम का सहारा लेकर भाजपा के पदाधिकारियों, कार्य कर्ताओं को भयभीत करते हैं और जनहित के कार्य को प्रभावित कर रहे हैं। मण्डलायुक्त का इस कदर प्रभाव बढ़ गया है कि मंत्री,विधायक या कोई पदाधिकारी हो, किसी भी जनहित के मुद्दे को उनके द्वारा टाल-मटोल किया जाता है। जिसके चलते कोई भी भाजपा नेता किसी भी जनहित के कार्य को करा पाने में खुद को असमर्थ पाता है। बीते लोकसभा चुनाव में अफसरशाही के हावी होने के कारण भाजपा को वोट का भारी नुकसान उठाना पड़ा।