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Jaunpur:बोलबम के जयकारों से गूंजा स्वयंभू त्रिलोचन महादेव मंदिर, नवजात शिशु ने भी किया जलाभिषेक।

इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क 

जलालपुर, जौनपुर।वाराणसी - जौनपुर राजमार्ग पर रेहटी गांव में स्थित ऐतिहासिक स्वयंभू त्रिलोचन महादेव मंदिर में रविवार को हजारों श्रद्धालुओं ने बोलबम के जयकारों के साथ बाबा का जलाभिषेक किया और मन्नतें मांगी। ब्राह्मण द्वारा मंत्रोच्चारण के बीच शिवभक्तों ने तीन नेत्रों वाले श्री त्रिलोचन महादेव का रुद्राभिषेक किया।ॐ नमः शिवाय,हर - हर महादेव के जयकारों एवं घंटे घड़ियाल से माहौल भक्तिमय होता रहा।माता - पिता संग नवजात शिशु ने में भी महादेव का जलाभिषेक किया। श्री त्रिलोचन महादेव से जुड़ा इतिहास है कि त्रेतायुग में भगवान शिव स्वयं पाताल भेदकर इस स्थान पर प्रकट हुए थे। द्वापर और कलयुग में भी यह मंदिर अपरिवर्तित बना रहा एवं अपनी प्राचीनता और दिव्यता को बनाए हुए है।कहा जाता है कि एक चरवाहा प्रतिदिन अपनी गायों को जंगल में चराने ले जाता था। शाम को जब वह घर लौटता तो उसकी गाय दूध नहीं देती थी कई दिनों तक यह सिलसिला चलने से चरवाहा परेशान हो गया कि आखिर उसकी गाय का दूध कहां जाता है।एक दिन उसने अपनी गाय का पीछा किया। जंगल में चरते-चरते गाय एक विशेष स्थान पर रुकी और अपना सारा दूध जमीन पर बहा दिया। यह देखकर चरवाहा हैरान रह गया। अगले दिन भी गाय ने ठीक उसी स्थान पर जाकर दूध बहाया। यह चमत्कार देखकर चरवाहे ने गांव वालों को बताया  ग्रामीणों में उत्सुकता जगी और उन्होंने उस स्थान पर खुदाई शुरू की।खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के नीचे एक शिवलिंग दिखाई दिया। ग्रामीणों ने शिवलिंग को खोदकर बाहर निकालने और गांव में स्थापित करने का विचार किया। उन्होंने कई दिनों तक खुदाई की, लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला। अंततः थक-हारकर ग्रामीणों ने उस स्वयंभू शिवलिंग की वहीं पूजा-अर्चना शुरू कर दी। इस अद्भुत शिवलिंग में आँख, नाक, मुंह और कान स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।ग्रामीणों के सहयोग से वहां एक मंदिर बनाया गया।भोर से श्रद्धालुओं का दर्शन-पूजन करने का सिलसिला चलता रहा।हिन्दू धर्म में पवित्र श्रावण मास का है विशेष महत्व श्रद्धाभाव से दर्शन - पूजन करने से श्री त्रिलोचन महादेव श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। मंदिर के सामने बने सुंदर कुंड की मान्यता यह है कि कुंड में स्नान करने से चर्म रोग सम्बन्धी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।