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Jaunpur : ​ठंड से कांपता नवजात शिशु झाड़ियों में मिला।

इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क 

बरसठी, जौनपुर। मां - वह शब्द जिसमें पूरी सृष्टि की ममता बसती है। नौ महीने कोख में दर्द सहकर जो औलाद को जन्म देती है, वही यदि जन्म के कुछ घंटे बाद अपने ही बच्चे को झाड़ियों में फेंक दे, तो यह दृश्य इंसानियत और मातृत्व दोनों को झकझोर देता है। ऐसा ही दिल दहला देने वाला ताज़ा मामला शनिवार की सुबह क्षेत्र के चंद्रभानपुर गांव में सामने आया।जानकारी के अनुसार मियाचक–बड़ेरी मार्ग स्थित नहर पुलिया के पास अलसुबह कुछ महिलाएं टहलने निकली थीं। तभी उन्हें किसी मासूम बच्चे की किलकारी और रोने की आवाज सुनाई दी। जब वे पास पहुँचीं और टॉर्च की रोशनी डाली तो देखा कि कपड़े में लिपटा एक नवजात शिशु ठंड से कांप रहा था। यह देख महिलाएं भयभीत हो गईं और शोर मचाया तो आसपास के ग्रामीण मौके पर जुट गए। सूचना पर ग्राम प्रधान गजेन्द्र दुबे व बरसठी पुलिस भी मौके पर पहुँची। ग्रामीणों की मदद से बच्चे को झाड़ियों से निकालकर नजदीक के एक निजी बाल स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।डॉक्टरों के अनुसार ठंड के कारण बच्चे का शरीर नीला पड़ गया था। प्राथमिक उपचार के बाद ऑक्सीजन के सहारे इलाज के लिए उसे जिला अस्पताल भेज दिया गया। इस बीच, गांव की गीता देवी पत्नी अजय विश्वकर्मा ने भावुक होकर बच्चे को गोद लेने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा, भगवान ने इसे हमारे घर भेजा है, हम इसे अपने बच्चे की तरह पालेंगे। उनके पास पहले से दो बेटियां हैं। मौके पर मौजूद ग्रामीणों का कहना है था कि, संभवतः किसी अविवाहित युवती ने लोकलाज के डर से नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया होगा। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।इस संबंध में जब जिला कोऑर्डिनेटर चाइल्ड हेल्थकेयर शुभम कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि बच्चे को एनएससीयू वार्ड में भर्ती कराया गया है, जहां वह निमोनिया के कारण गंभीर स्थिति में है। उन्होंने कहा, गीता देवी ने गोद लेने की इच्छा जताई है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के बिना किसी को भी बच्चा नहीं दिया जा सकता। अब गोद लेने की प्रक्रिया 'केयरिंग पोर्टल सारा' पर होती है। आवेदन के बाद परिवार की आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक जांच जिला प्रोबेशन कार्यालय द्वारा की जाती है। इसलिए यह निश्चित नहीं है कि वही बच्चा उसी परिवार को मिलेगा।शुभम ने आगे बताया कि बच्चे को स्वस्थ होने के बाद मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और आदेश मिलने पर उसे चंदौली स्थित बच्चों की संस्था में संरक्षित किया जाएगा। वहाँ 30 दिनों तक गजट में सूचना प्रकाशित रहती है ताकि यदि उसके जैविक माता-पिता सामने आएं तो उन्हें वैधानिक रूप से सौंपा जा सके। फिलहाल, यह घटना समाज में ममता और मानवता दोनों पर सोचने को मजबूर कर गई है। एक ओर निर्दयी माँ ने अपने नवजात मासूम को ठंड में झाड़ियों में मरने के लिए छोड़ दिया, वहीं दूसरी ओर गीता देवी जैसी महिला ने करुणा दिखाकर यह संदेश दिया कि अब भी इंसानियत जिंदा है।