इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क
जौनपुर। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से सम्बद्ध सेवा समर्पण संस्थान की जनपद जनपद इकाई द्वारा आयोजित बिरसा मुन्डा जयन्ती पर मुख्य वक्ता क्षेत्र शिक्षण प्रमुख बृजवासी पुरी ने बताया कि 26 वर्ष की अल्पायु में ही अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले महान क्रान्तिकारी, स्वतन्त्रता सेनानी विरसा मुन्डा का जीवन एक आदर्श के रूप में जाना जाता है। झारखण्ड की धरती पर जन्मे वनवासी बिरसा मुन्डा कम पढ़े—लिखे होने के बावजूद देश की आजादी के दीवाने थे। जंगलों में मुन्डा जनजाति को संगठित किया और गोली का मुकाबला तीर धनुष से किया। जनजाति में उनके कार्यों से प्रभावित होकर वे इन्हें धरती आवा अर्थात् धरती के भगवान बिरसा मुन्डाके रूप में पूजा जाता है। इनके जन्म तिथि 15 नवम्बर को केन्द्र द्वारा 2021 से "जन जातिय गौरव दिवस" घोषित किया गया है। पूरे देश में जनजातियों के उत्थान के लिये अनेक कार्यक्रम भी चल रहे है।
"जिला संघचालक एवं संस्था के संरक्षक डा० सुभाष सिंह ने संघ शताब्दी वर्ष के बारे में विस्तार से बताया। काशी से आये संगठन मन्त्री परमात्मा वनवासी और आजमगढ़ जिला संगठन मन्त्री राजनाथ ने अपने छात्रावासों के बारे में पूरी जानकारी दिया। वस्त्र एवं अंगवस्त्रम् देकर उन लोगों को सम्मानित किया गया। संरक्षक योगी हरदेवनाथ ने आर्शीवाद एवं प्रसाद दिया।इस अवसर पर संरक्षकगण रतन साहू बाबाजी, श्याम मोहन अग्रवाल, राजकुमार सेठ, डा० कौशिक, उपाध्यक्ष अतुल जायसवाल, कोषाध्यक्ष पवन साहू, जिला सह मन्त्री आलोक गुप्त, सन्तोष श्रीवास्तव, शिव कुमार गुप्त, अखिलेश पाण्डेय, सन्दीप गुप्त, अविनाश गुप्त, अजय गुप्त, मोती लाल गौड़, अमित गुप्ता सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन मानिक चन्द्र सेठ ने किया।