इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क
खुटहन, जौनपुर। आदर्श रामलीला धर्म मंडल उसरौली शहाबुद्दीनपुर के अभिनेताओं के द्वारा मंगलवार की रात मंचन किए गए भरत के द्वारा श्रीराम के मनावन में भरत का त्याग और निश्छल प्रेम देख दर्शकों की आंखें छलक पड़ी। जब वे गुरु और माताओं के साथ सिर पर राम के द्वारा दी गई खड़ाऊ को सिर माथे पर रख अश्रुपूरित नेत्रों से वापस अयोध्या लौटने लगे, इस दृश्य को देख दर्शक अपने आंसूओं को नहीं रोक सके।वन से श्रीराम को वापस अयोध्या लाने के लिए भरत हर संभव तरीके से भगवान को मनाते हैं, लेकिन भगवान पिता के वचनों के आगे खुद को असमर्थ बताते हैं। इसका निर्णय महाराज जनक से करने का दोनों भाई आग्रह करते हैं। असमंजस में पड़े जनक ने कहा कि आप दोनों में महान कौन है यह ब्रह्मा भी तय नहीं कर सकते। राम कर्तव्य और मर्यादा की सीमा हैं तो भरत त्याग और निश्छल प्रेम की परिसीमा। जब प्रेम पराकाष्ठा में अनन्य भक्ति का रूप धर लेता है तो सारे बंधन तोड़ स्वयं ईश्वर को भक्त के पास भागकर आना पड़ता है। वहीं राम मर्यादा और धर्म के शिखर हैं। तीनों लोकों में धर्म से बड़ा कुछ नहीं होता। इस प्रेम, त्याग, मर्यादा और धर्म के द्वंद में देखें तो भक्त भरत का पलड़ा भारी दिख रहा हैं, लेकिन प्रेम सदैव नि:स्वार्थ होता है, इसलिए भरत तुम श्रीराम के चरणों में बैठ उन्हीं से निर्णय पूछिए।व्याकुल भरत भागकर श्रीराम के चरणों में गिर याचना करने लगते हैं। श्रीराम ने कहा कि भाई भरत मैं तुम्हारे द्वारा दिए गए राज्य को स्वीकार करता हूं, लेकिन पिता के वचन भी झूठे न हो, इसलिए इस राज्य को 14 वर्षों के लिए तुम्हें धरोहर के रूप में सौंप रहा हूं। इस अवधि के बाद मैं वापस आकर तुमसे अपना राज्य वापस ले लूंगा। राज्य सिंहासन के लिए चरण पादुका लेकर जब भरत अश्रुधारा बहाते वापस लौटने लगे तो दर्शकों की आंखें भर आईं।रामलीला का शुभारंभ विधायक रमेश सिंह ने फीता काटकर किया। उन्होंने कहा कि रामलीला हमारे सनातन धर्म और संस्कृति का मूल है। इस मौके पर ब्लाक प्रमुख बृजेश यादव, रंजीत सिंह गुड्डू राधेश्याम उपाध्याय, बद्री प्रसाद पाण्डेय, कमलेश कुमार पाण्डेय, सांवले शर्मा, मुन्ना पाण्डेय, प्रदीप सिंह, हरिवंश मिश्रा, मोहम्मद इमरान, हर्ष पाण्डेय, राकेश मिश्रा, पप्पू पाण्डेय, बसंत मौर्या आदि मौजूद रहे। संचालन पवन पाण्डेय ने किया।