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Shravasti: विधिक जागरूकता शिविर प्राथमिक विद्यालय सिसवा में आयोजित।

इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क 

श्रावस्ती। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में प्रभारी जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अमित प्रजापति के आदेशानुसार एवं विश्वजीत सिंह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/सिविल जज प्र0ख0 के निर्देशन में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन उच्च प्राथमिक विद्यालय सिसवा थाना भिनगा में कार्यक्रम का आयोजन हुआ।इस मौके पर जनसामान्य का निःशुल्क विधिक सहायता, महिला एवं बाल अधिकार, कानूनी जानकारी तथा महिलाओं के सम्बन्ध तथा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया गया।अजय कुमार जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि 20 नवम्बर 1959 को बालकों के अधिकारों की घोषणा को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, अथवा वंश का भेदभाव किये बिना बच्चों को स्वस्थ एवं सामान्य ढंग तथा स्वतंत्रता व गौरवपूर्ण परिस्थिति में उनका शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक तथा सामा जिक विकास करने के योग्य बनाने के लिए दस सिद्धांतों को अधिकथित किया है। शिशु संरक्षण अधिकार अधि नियम—2005 हेतु आयोग-यह अधि नियम बाल अधिकारों के संरक्षण एवं बच्चों के विरुद्ध अपराधों अथवा बाल अधिकारों के उल्लंघन और उनसे संबंधित अथवा उनसे निकले हुए मामलों की बाल न्यायालयों में शीघ्र सुनवाई हेतु राष्ट्रीय आयोग एवं राज्य आयोगों की स्थापना करता है। दिनेश वर्मा पटेल चीफ एलएडीसी और संजय सिंह असिस्टेंट एलएडीसी ने बताया कि बाल श्रम (प्रति निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986- यह अधिनियम विशिष्ट कार्यों में बालकों के नियोजन के निषेध सहित अन्य विशिष्ट नियोजनों में बालकों की कार्य-दशा को उत्कृष्ट बनाने हेतु प्रवृत्त हुआ है। अधिनियम के अंतर्गत बालक से अर्थ वह व्यक्ति है जिसने अपनी 14 वर्ष की आयु को प्राप्त नहीं किया है। यह अधिनियम बाल रोजगार (अर्थात जिसने अपनी 14 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की है के नियोजन) पर प्रतिबंध लगाने हेतु आशयित है। किशोर न्याय (बालकों की देख—रेख और संरक्षण) अधिनियम 2000-यह अधिनियम उन किशोरों और बालकों से संबंधित है जो कानून से संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें संरक्षण कि आवश्कता है। यह अधिनियम उनके विकास और आवश्यकताओं का प्रबंध करते हुए उन्हें उचित देख-रेख, संरक्षण एवं चिकित्सा को, बाल संबंधी मामलों में उनके सर्वश्रेष्ठ लाभ की प्रकृति में अधिनिर्णय करने में बाल-अनुकूल दृष्टिकोण अपनाते हुए एवं स्थापित अधिनियम के तहत विभिन्न संस्थागतों द्वारा आधारभूत पुनर्वास प्रदान करता है। ओंकार नाथ चौधरी प्रबन्धक ग्रामीण बौद्ध कल्याण सेवा संस्थान ने बताया कि बाल न्याय प्रदान करने हेतु संयुक्त राष्ट्र आदर्श न्यूनतम नियम (पेइचिंगनियम, 1985) ने राष्ट्रों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि कार्यवाही के दौरान बालक को विधिक सलाहकार के माघ्यम से प्रतिनिधित्व का अधिकार प्राप्त होगा अथवा यदि उस देश में ऐसा प्रावधान हो तो उसे मुफ्त विधिक सहायता के लिए आवेदन करने का भी अधिकार होगा। उक्त कार्यक्रम में उपस्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी वरिष्ठ लिपिक दयाराम, अरूण श्रीवास्तव असिस्टेंट एलएडीसी, जीवधन मिश्रा सहा0वि0अधि0, विश्राम पासवान अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, विनोद मौर्य, ग्राम विकास अधिकारी, द्विजेन्द्र त्रिपाठी एआरसी बेसिक शिक्षा विभाग आदि लोग उपस्थित रहे।