पराऊगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के कुटीर उपवन में जगतगुरू रामभद्राचार्य महाराज के उत्तराधिकारी रामचन्द्र दास जय महाराज तुलसी पीठ ने श्रीमद्भगवत गीता एवं श्रीरामचरित मानस का बोधगम्य महात्म का वर्णन करते हुए बताया कि हमारा अनमोल समय परदोष दर्शन में खप रहा है। मानव बनना तो सरल है पर मानवता लाना कठिन है। कथा एवं सत्संग की परंपरा बहुत पुरानी है। आज समाज में तमाम विसंगतियां आ गई हैं। शिक्षकों को अगर नौकर की तरह समझेंगे तो उनके छात्र नौकर बनेंगे। यदि सांदीपनि एवं वशिष्ठ के रूप में समझेंगे तो राम, कृष्ण जैसे छात्र समाज में बनेंगे। भारत पूर्व से पुरुषार्थी देश रहा है। भरत जैसे राजा ने शेर के दांत गिने तो रानी लक्ष्मी बाई ने अपने पराक्रम से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिये। श्रीरामचरितमानस को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि संसार की हर वस्तु नश्वर है। मोह ग्रस्त होकर ऐसा कर्म न करें जिससे पश्चाताप करना पड़े।
कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉ अजयेन्द्र दुबे ने मंचस्थ संतश्री का अभिनंदन करते हुए आगतजनों के प्रति आभार ज्ञापित किया। कुटीर संस्थान से संबद्ध सभी इकाइयों के प्रधानाचार्य, प्राचार्य एवं क्षेत्र के जनों ने मंचस्थश्री का माल्यार्पण करके अभिनंदन किया। इस अवसर पर मदन मोहन दास, पूर्णेन्दु तिवारी, गोविंद त्रिपाठी, भूषण मिश्र, शंभूनाथ दुबे, शोभनाथ पाठक, गिरिजा शंकर द्विवेदी, पूर्व संकायाध्यक्ष काशी विद्यापीठ वाराणसी वीरेंद्र सिंह, अंबुज पांडेय, अमित दुबे, क्षमानाथ दुबे समेत तमाम लोग उपस्थित रहे। कथा संचालन डॉ श्याम दत्त दुबे ने किया।