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Jaunpur:85 प्रतिशत सांप होते हैं विषहीन : सीएमओ

इंद्रा एक्सप्रेस नेटवर्क 

>चौड़ा होता है जहरीले सांपों का मुंह।

>अन्तराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस का हुआ आयोजन।

जौनपुर। राष्ट्रीय सर्पदंश कार्यक्रम के अन्तर्गत 19 सितम्बर को अन्तराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में सभागर कक्ष में आयोजित किया गया जिसमें समस्त सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा एवं कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी द्वारा प्रतिभाग किया गया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताया गया कि सांप की प्रजातियों के बारे में बताया गया कि भारत में पाये जाने वाले 15 प्रतिशत सांप ही विषैले, जहरीले पाये जाते हैं जबकि 85 प्रतिशत सॉप विषहीन होते है। सांप काटने पर शरीर पर दो निशान पाये जाते हैं दोनों निशान के बीच में लगभग 1 सेमी से 2.5 सेमी गैप पाया जाता है। जहरीले सॉप के निशान गहरें होते हैं जिसकी गहरायी 2 से 7 मिमी में पायी जा सकती है। जहरीलें सांप का मुंह चौड़ा होता है जबकि जो विषहीन सांप होते है उनका मुंह चौड़ा नहीं होता बल्कि लम्बा होता है अगर सांप जहरीला नहीं है तो उसके काटने के छोटे-छोटे कई निशान बने होंगे जो ज्यादा गहरें होते हैं।नोडल अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष कुमार जायसवाल द्वारा विस्तार से बताया गया कि वर्ष 2020 से अध्ययन से भारत में लगभग 58 हजार सांप काटने के केस पाये जाते हैं जबकि वास्तविक संख्याएं इससे अधिक हो सकती है। उसकी एक वजह यह है कि उपचार के लिये ग्रसित मरीज स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं पहुंच पाता है बल्कि वह झाड़-फूक के चक्कर में कई बार लोग अपनी जान तक गवां बैठते हैं जबकि जागरूकता के माध्यम से किसानों एवं ग्रामीण सामुदायों को सर्पदंश की महत्व को बताते हुये जान बचाया जा सकता है, इसलिये सांप काटने की स्थिति में अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाये और सर्पदंश का टीका लगवायें।जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. जिआउल हक द्वारा बताया गया कि सर्पदंश के दौरान क्या करें क्या ना करें तथा बचाव हेतु सुझाव दिया गया।क्या करें - घाव को साबुन एवं साफ पानी से धोयें, सोते समय खाट, बेड एवं नेट का प्रयोग करें,शरीर के प्रभावित हिस्सें से अंगूठियां, घड़ी, आभूषण, जूत व तंग कपडे़ इत्यादि को हटा दें, सांप के रंग और आकार को देखने एवं याद रखने की कोशिश करें, पीड़ित व्यक्ति को यह भरोसा दिलाये 85 प्रतिशत सांप जहरीलें नहीं होते, रात्रि समय अंधरे में लाईट, टार्च का प्रयोग करें, तुरन्त 108/102 पर एम्बुलेंस के लिये कॉल करें, अंधरे में खेत में जाते समय लम्बी छड़ी का प्रयोग करें, पीडित व्यक्ति को नजदीकीय चिकित्सालय ले जायें, जहॉ पर डाक्टर एवं एन्टीवेनम उपलब्ध हो।क्या न करें - झाड़-फूक/सपेरे व तांत्रिक के चक्कर में न पड़े, सांप के जहर को चूस कर निकालने की कोशिश न करें, यदि लम्बे जूते न पहने हो तो ऊंची घास वाले स्थानों से दूर रहे, सांप को पकड़ना या मारना नहीं चाहिये, सर्पदंश के लक्षण दिखने का इंतजार न करें, पीड़ित व्यक्ति को सोने न दें, सर्पदंश व्यक्ति को घबराहट ने होने दें, किसी भी प्रकार की शारीरिक क्रिया न करने दें, घाव के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करें। बैठक में अपर मु.चि.अ. डॉ.बीसी पन्त, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके सिंह उपस्थित रहे।