जौनपुर। किसी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि अगर समाज में कोई बदलाव करना है तो सबसे पहले खुद से ही शुरूआत की जाए लेकिन जागरूकता के लिए तरह-तरह के अभियान चलाने वाली संस्थाएं अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा तो लेती है लेकिन फोटो खींचवाने के बाद ही उस अभियान की इतिश्री भी कर लेती है। 'पहले हेलमेट, फिर चाभी' अभियान को सफल बनाने की अपील करने वाली सामाजिक संस्थाओं के कई पदाधिकारी आपको शहर में बिना हेलमेट के गाड़ी चलाते हुए मिल जाएंगे और जब आप पूछेंगे कि आप तो स्वयं ही हेलमेट नहीं लगाए हैं तो कहेंगे कि ज्यादा दूर नहीं जाना था, बस यही जाना था इसीलिए हेलमेट नहीं पहना। इन पदाधिकारियों का हम फोटो भी दिखा सकते हैं, लेकिन सच देखना किसे पसंद है, इसीलिए इस खबर को पढ़ने के बाद अपने अंदर झांककर देखिए कि आप इस तरह के अभियान को सफल बनाने में अपना कितना प्रतिशत दे रहे हैं?मीडिया में बने रहने के लिए अगर आप इस तरह के अभियान का हिस्सा बन रहे हैं तो आज ही इस तरह के अभियान से तौबा कर लीजिए, अगर वाकई आपको समाज की चिंता है तो अभियान चलाने से पहले आप स्वयं पर लागू कीजिए, उस अभियान को फॉलो करिए फिर समाज को जागरूक करिए। आप खुद ही हेलमेट लगाकर गाड़ी नहीं चलाते तो आपको जागरूकता फैलाने का अधिकार ही नहीं है।इसी तरह से नशा मुक्ति अभियान है। पहले स्वयं दोहरा, गुटखा, तम्बाकू, सिगरेट, शराब छोड़िए, फिर लोगों को जागरूक करिएगा। किसी भी अभियान को शुरू करने से पहले आप स्वयं पर लागू करिए।