सरायख्वाजा, जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में व्यावसायिक अर्थशास्त्र विभाग द्वारा "राष्ट्रीय शिक्षानीति 2025: चुनौतियाँ एवं अवसर" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रो. संगीता पवार (विभागाध्यक्ष, वाणिज्य, मुंबई विश्वविद्यालय) ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2025 हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रही है। अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने हमें हमारी जड़ों से दूर किया था लेकिन NEP 2025 के माध्यम से हम पुनः अपनी परंपराओं और मूल्यों की ओर लौट रहे हैं। यह नीति रोजगारोन्मुखी होने के साथ ही ज्ञान अर्जन का भी सशक्त रोडमैप प्रदान करती है।
प्रो. ममता जैन ने कहा कि यदि भारत को "विकसित भारत 2047" के लक्ष्य तक पहुँचना है तो विद्यार्थियों को NEP 2025 के विजन को आत्मसात करना ही होगा। उन्होंने तकनीकी समझ के साथ विषयगत अध्ययन को आवश्यक बताया।
डॉ. जितेंद्र नारायण (उपाध्यक्ष नेल्सन इंडिया लिमिटेड) ने विद्यार्थियों को वित्तीय साक्षरता की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि वर्तमान में वित्तीय जानकारी के बिना शिक्षा अधूरी है। विद्यार्थियों को जीवन के आरंभ से ही वित्तीय जागरूकता विकसित करनी चाहिए। उन्होंने शेयर मार्केट, निवेश प्रक्रिया एवं वित्तीय संकेतकों की समझ पर विस्तार से चर्चा किया। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे प्रो. मानस पांडेय ने मुख्य अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशुतोष सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. अविनाश पाथर्डीकर, डॉ. ऋषिकेश, डॉ. अंजनी मिश्र, डॉ. निशा पांडेय, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. राकेश उपाध्याय, दीपांजलि सहित विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रो. संगीता पवार (विभागाध्यक्ष, वाणिज्य, मुंबई विश्वविद्यालय) ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2025 हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रही है। अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने हमें हमारी जड़ों से दूर किया था लेकिन NEP 2025 के माध्यम से हम पुनः अपनी परंपराओं और मूल्यों की ओर लौट रहे हैं। यह नीति रोजगारोन्मुखी होने के साथ ही ज्ञान अर्जन का भी सशक्त रोडमैप प्रदान करती है।
प्रो. ममता जैन ने कहा कि यदि भारत को "विकसित भारत 2047" के लक्ष्य तक पहुँचना है तो विद्यार्थियों को NEP 2025 के विजन को आत्मसात करना ही होगा। उन्होंने तकनीकी समझ के साथ विषयगत अध्ययन को आवश्यक बताया।
डॉ. जितेंद्र नारायण (उपाध्यक्ष नेल्सन इंडिया लिमिटेड) ने विद्यार्थियों को वित्तीय साक्षरता की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि वर्तमान में वित्तीय जानकारी के बिना शिक्षा अधूरी है। विद्यार्थियों को जीवन के आरंभ से ही वित्तीय जागरूकता विकसित करनी चाहिए। उन्होंने शेयर मार्केट, निवेश प्रक्रिया एवं वित्तीय संकेतकों की समझ पर विस्तार से चर्चा किया। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे प्रो. मानस पांडेय ने मुख्य अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशुतोष सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. अविनाश पाथर्डीकर, डॉ. ऋषिकेश, डॉ. अंजनी मिश्र, डॉ. निशा पांडेय, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. राकेश उपाध्याय, दीपांजलि सहित विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।